लिख देता तुझे अगर किसी दीवार पर आयत हो जाती तू भी किसी दीवार पर पड़ने वाला रोज़ करता यहाँ सज़दा रोज नमाज़ी करते नमाज किसी दीवार पर अल्लाह नहीं देखा, महसूस किया कुरआन में आज सूरत भी बन जाती किसी दीवार पर मेरी गलतियां, शिक़वे सब दूर हो जाते आ गले लग जाता किसी दीवार पर हर रोज ईद मनाता में भी यहां आकर हर रोज चाँद निकलता किसी दीवार पर #अतिशीघ्र #अतिशीघ्र,#किसी दीवार पर