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मेरी गली से जो रोज़ रोज़ गुजरता है तू फिर इस दिल म

मेरी गली से जो रोज़ रोज़ गुजरता है तू
फिर इस दिल में दर्द उठता (होता ) है क्यूं

महकते फूलों के बगीचे का मालिक है तू
तो भंवरा बन मेरे समीप मंडराता है क्यूं

दिल में प्यार बसा के,फ़रमान ए इश्क़ जो लाया है तू
फिर मात- पिता को छोड़ आया है क्यूं

गर जिंदगी से जो थक गया है तू
फिर जिंदगी को ले के बैठा है क्यूं

गर बचपन से प्यार करता है तू
फिर बुढ़ापे में जीने आया है ( जीता है) क्यूं


- अंकित कुमार (उर्फ़ 'रचित') #pyaar

pooja negi# Kiran malav Aarav sharma Prabhakar Kumar Shakuntala Choudhary
मेरी गली से जो रोज़ रोज़ गुजरता है तू
फिर इस दिल में दर्द उठता (होता ) है क्यूं

महकते फूलों के बगीचे का मालिक है तू
तो भंवरा बन मेरे समीप मंडराता है क्यूं

दिल में प्यार बसा के,फ़रमान ए इश्क़ जो लाया है तू
फिर मात- पिता को छोड़ आया है क्यूं

गर जिंदगी से जो थक गया है तू
फिर जिंदगी को ले के बैठा है क्यूं

गर बचपन से प्यार करता है तू
फिर बुढ़ापे में जीने आया है ( जीता है) क्यूं


- अंकित कुमार (उर्फ़ 'रचित') #pyaar

pooja negi# Kiran malav Aarav sharma Prabhakar Kumar Shakuntala Choudhary
ankitkumar1794

Ankit Kumar

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