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आँचल मा तेरे आंचल का छाव जब तक था माथे मेरे ना क

आँचल मा तेरे आंचल का छाव
 जब तक था माथे मेरे 
ना कोई फ़िक्र ना कोई 
चिंता का आलम  था
हर लम्हा जी रहा था
 उन्मुक्त भाव से
फ़िक्र थोड़ी सी भी नहीं थी
किसी बात को लेकर 
मन मेरा मुत्मईं था 
हर बातों को लेकर
कहीं ना कहीं ये जानता था
एक ओट तो हमेशा मेरे पास
छुप जाने को है
कुछ भी मुश्किल हो
कोई तो बचाने को हैं #हिंदी#आंचल#मा#कविता
आँचल मा तेरे आंचल का छाव
 जब तक था माथे मेरे 
ना कोई फ़िक्र ना कोई 
चिंता का आलम  था
हर लम्हा जी रहा था
 उन्मुक्त भाव से
फ़िक्र थोड़ी सी भी नहीं थी
किसी बात को लेकर 
मन मेरा मुत्मईं था 
हर बातों को लेकर
कहीं ना कहीं ये जानता था
एक ओट तो हमेशा मेरे पास
छुप जाने को है
कुछ भी मुश्किल हो
कोई तो बचाने को हैं #हिंदी#आंचल#मा#कविता
manishkumar1303

Manish Kumar

Bronze Star
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