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झाँख रहा हूँ खिड़की से इन दिनों, हवा में लहराते इन

झाँख रहा हूँ खिड़की से इन दिनों,
हवा में लहराते इन पेड़ो को,
सुना तो नहीं कुछ,
पर महसूस कर रहा हूँ,
डर था जिन्हें छटने-कटने का,
मुस्कुरा रहे है ये पेड़ भी इन दिनों,
नीचे बैठे है कई जानवर इनके,
भटक रहे थे जो कई दिनों से,
बैठे है आज सुकून की छांव में,
शहर के शोर में दबे थे जो पक्षी,
हवाओं में ख़ुशी से चहचहा रहे हैं,
 कैद थे जो प्रदुषण की जंजीरों में,
उड़ रहे है आज आजाद गगन में...

fursat_फुरसत #window #lockdown
#corona #writer #stroy #poem
झाँख रहा हूँ खिड़की से इन दिनों,
हवा में लहराते इन पेड़ो को,
सुना तो नहीं कुछ,
पर महसूस कर रहा हूँ,
डर था जिन्हें छटने-कटने का,
मुस्कुरा रहे है ये पेड़ भी इन दिनों,
नीचे बैठे है कई जानवर इनके,
भटक रहे थे जो कई दिनों से,
बैठे है आज सुकून की छांव में,
शहर के शोर में दबे थे जो पक्षी,
हवाओं में ख़ुशी से चहचहा रहे हैं,
 कैद थे जो प्रदुषण की जंजीरों में,
उड़ रहे है आज आजाद गगन में...

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