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न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों अभी मैं अं

न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों 
अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ #Scare #SadPoetry #UrduPoetry #AnisMueenPoetry
न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों 
अभी मैं अंदर के आदमी से डरा हुआ हूँ #Scare #SadPoetry #UrduPoetry #AnisMueenPoetry
khalidsaeed1530

Khalid Saeed

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