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रोज सुबह निकलता हूं इसी खोज में कि कहीं कोई पल कमा

रोज सुबह निकलता हूं
इसी खोज में
कि कहीं कोई पल कमाऊं
अपने लिए
और उस पल में
सदा के लिए खो जाऊं

इसी कश्मकश में
गुजरते है पल
दिन गुजरता है
और लौट आता हूं
शाम को गठरी में लपेटे
मुरझाए हुए पल लेकर
और सो जाता हूं रात को
सुबह उनके खिल उठने के
ख्वाबों को
खयालों में संजोकर।

बहुत आसान है कमाना
धन दौलत एश्वर्य की वस्तुएं
परंतु, बेहद दूभर है
स्वयं के लिए
इक ’पल भर’ कमाना 

#चौबेजी

.

©Choubey_Jii #चौबेजी #नोजोटो #Nojoto #Poet #Poetry #poetrycommunity 

#jail
रोज सुबह निकलता हूं
इसी खोज में
कि कहीं कोई पल कमाऊं
अपने लिए
और उस पल में
सदा के लिए खो जाऊं

इसी कश्मकश में
गुजरते है पल
दिन गुजरता है
और लौट आता हूं
शाम को गठरी में लपेटे
मुरझाए हुए पल लेकर
और सो जाता हूं रात को
सुबह उनके खिल उठने के
ख्वाबों को
खयालों में संजोकर।

बहुत आसान है कमाना
धन दौलत एश्वर्य की वस्तुएं
परंतु, बेहद दूभर है
स्वयं के लिए
इक ’पल भर’ कमाना 

#चौबेजी

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©Choubey_Jii #चौबेजी #नोजोटो #Nojoto #Poet #Poetry #poetrycommunity 

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Choubey_Jii

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