लाडो हूँ तुम्हारी कांधे का बोझ ना समझों तेरी ही परछाई हूँ दो हिस्सों मे मत बाटों आँचल का कोना ही थामे रहने दो मेरी खुशियों को मत तौलों ख्वाइशों के पर कतर दूँगी अपनी छावं को मत समेटों परदेश के सपने नही अपनी आँगन की माटी को मत कुरेदों लाडो हूँ तुम्हारी कांधे का बोझ ना समझों तेरी ही परछाई हूँ दो हिस्सों मे मत बाटों लाडो #nojoto #nojotohindi #poetry #kavishala #books #thoughts