' ' एक विश्वास ऐसा भी ' ' मेरे अपनों का , बड़ों का आशीर्वाद था मुझपर। उस दिन कुछ ज़्यादा ही था शायद मैं बियाहि थीं बाबा ने । मेरे हर श्रृंगार में मैं लाल रंग रखती हूँ। हर दिन, हर पल औऱ एक सुहागिन की तरह रहती हूँ । आज 60-65साल की उमर के हो गये हम दोनो साथ हैं औऱ लगता हैं ये सब लाल रंग का कमाल हैं उस सुहाग का उस लाल रंग का विश्वास हैं जो मै अब तक सुहागिन होने का सौभाग्य प्राप्त कर पा रही हूँ ॥ उस दिन ट्रैन में सफर के दौरन एक जोड़े से मुलाकात हुई ओर उनका अपना एक विश्वास था । गुरूर था इस रिश्ते पर और दोनो के साथ पर ॥