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हम तुम हम तुम वे लहरें है अब जो किनारों के प्रेम

हम तुम  हम तुम वे लहरें है अब 
जो किनारों के प्रेम में पड़ चुके है
जो यात्रा हम किनारों के लिये संग तय कर रहे हैं
वे हमें यकीनन किनारों तक ला पटकेंगी
मगर क्या किनारा स्थायी रूप से मिल सकेगा
हमें लौटना होगा फिर से उसी पथ पर
जिस पथ से चलकर किनारों तक आयें है
क्या इस क्षणिक किनारे रूपी सुख के लिये
हमने अपनी यात्रा को गौण समझा
और किनारे को अहम ।
जब तक समझेंगें देर हो सकती है
हम अभी भी बीच में है 
किनारे तक नहीं पहुचें
तो सचेत होकर यात्रा को जीवन समझें
और हर क्षण एक दूजे पर समर्पित हो गुजार दें
तो किनारे तक पहुंचना 
केवल भाग्य होगा 
हमारे पूरे जीवन की जीवनी नहीं।

©Astha gangwar © #PoetInYou #aasthagangwar
हम तुम  हम तुम वे लहरें है अब 
जो किनारों के प्रेम में पड़ चुके है
जो यात्रा हम किनारों के लिये संग तय कर रहे हैं
वे हमें यकीनन किनारों तक ला पटकेंगी
मगर क्या किनारा स्थायी रूप से मिल सकेगा
हमें लौटना होगा फिर से उसी पथ पर
जिस पथ से चलकर किनारों तक आयें है
क्या इस क्षणिक किनारे रूपी सुख के लिये
हमने अपनी यात्रा को गौण समझा
और किनारे को अहम ।
जब तक समझेंगें देर हो सकती है
हम अभी भी बीच में है 
किनारे तक नहीं पहुचें
तो सचेत होकर यात्रा को जीवन समझें
और हर क्षण एक दूजे पर समर्पित हो गुजार दें
तो किनारे तक पहुंचना 
केवल भाग्य होगा 
हमारे पूरे जीवन की जीवनी नहीं।

©Astha gangwar © #PoetInYou #aasthagangwar