आता ही नही यकीन हम कैसे जी रहें हैं.. दूध के भरम में यारो हम जहर पी रहें हैं.. सभ कुछ हो रहा है आंखों के साहमने ही.. नाजाने क्यों ख़ामोश बैठे लबहों को सी रहें हैं.. अपने हाथों से परोस कर हम थालियां जसवीर.. अपने ही हाथों से ज़हर के निवाले खुद खा रहें हैं.. अपने ही हाथों से फेंकते है खूब पैसे पे पैसा.. बहु बेटियो का खुद ब खुद मुजरा करवा रहे हैं.. सच होता है कड़वा जसवीर लेकिन हज़म करना.. ज़रा करना विचार कभी बैठ कर हम किधर जा रहें हैं..!! ✍🏻 जेसीपी जसवीर 9872812115 #मुजरा