White त्रिशूल की धार, जटा में गंगा, भस्म का तन, शिव का रंगा। काल भी जिनके आगे सिर झुकाले, शिव के बिना कौन सृष्टि संभाले। माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कैलाश का वासी, सबके सहारे, शिव के बिना सब जगत अंधकारे। गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल, शिव की भक्ति से कट जाए हर भूल। महाकाल का जिनको मिले सहारा, भक्त का जीवन खिले सारा। भांग-धतूरा चढ़े जिनके सिर, ध्यान मात्र से उनके मिट जाए भय, शिव की महिमा अपार और स्थिर। ©नवनीत ठाकुर #ध्यान मात्र से उनके मिट जाए सारे भय