मन का अँधेरा ये तब ही छँटेगा जब तेरी मुस्कराहटों का आफताब फिर से खिलेगा। अभी फैसला करना ये बाकी है कि मैं खुशी मनाऊँ या के गम, इक मैं ही नहीं तेरी दोस्ती का तलबगार, कई और भी हैं मुंतजिर तेरी वस्ल के। तेरा इक (हाँ) मेरे तकदीर का चांद और सितारा दोनों भी लिए बैठा है। मेरे जिंदगी मेंं जो आ जाते तो हर दिन मेरी दिवाली हो जाती। दीवाली