भूल बांग दोहा पढ़े,मुर्गा बना फ़कीर हृदय बदल की बात ये,या गर्दन पे तीर। सुबह सवेरे जाप में,बैठा एक अमीर, कृषकों का दोहा पढ़े,जैसे कोई कबीर। पलटी वाला टेक ये,या खतरा ए हार, पीछे एग्जिट पोल में, यू पी की सरकार। मन की बातें भूल कर,आया जन का चाव, ऐसा ही तब होत है,डगमग हो जब नाव। ©Sanjiv Nigam #कृषिबिल