कविता :- बुढापे का असर..... मित्रों के 'निमंत्रण' पर सकुचाते हो जब आप समझो बुढ़ापे के तरफ़ जल्द बढ़ रहे हो आप बात-बात पर नोक-झोंक करने लगे यदि आप समझो वो वक्त आ रहा होने वाले हो बूढ़े आप पड़ोसन से ज्यादा पत्नी को चाहने लगे हो आप समझो 'अग्रसर' होने लगे बुढ़ापे की ओर आप फिल्मों सिरियल से जब नफ़रत करने लगे आप समझो 'आँखें' बता रहा अब बुढ़े हो रहे हो आप महफ़िल में जब लोगों को मशवरा देने लगे आप समझो "चाहते" खुद से कह रही बुढ़े हो रहे आप "नये कपड़े" पहनने की इच्छा कम करते हो आप समझो थुलथुल बदन बता रही बुढ़े हो रहे हो आप फूलों पर बैठे भँवरे देख गुनगुनाने लगते जब आप समझो रोमांटिक गाने बतला रही बुढ़े हो चले आप होटलों में खाने वक्त घर की खाने याद करते आप समझो स्वादों ने याद दिलाई बुढ़े होने चले हो आप ©Anushi Ka Pitara #बुढ़ापे #का #असर #writing