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अनुज तजुर्बे सब आखिर में सीखे हम छोटे है जनाब ,ह

अनुज 

तजुर्बे सब आखिर में सीखे
हम छोटे है जनाब ,हमने कोई चांद पर पर्दा नहीं डाला
थोड़ी थोड़ी बातें सभी से सीखी 
यूं ही नहीं है हम घर के छोटे लाला

त्याग सीखा मैंने 
मैं यह अच्छी तरह मानता हूं
क्युकी बड़ों के आने पर में अपनी कुर्सी छोड़ना जनता हूं

अग्रज से कहना मेरा 
कि तुम्हारा तजुर्बा अभी फीखा है 
तुमने तो सिर्फ क्रिया से
मैंने प्रत्यक्ष रूप से सीखा है

अथाह,अनंत सागर का उजाला सा नीर हूं
पय सम ठहरे तुम मैं गोरस का क्षीर हूं
तुम शैल सम धैर्यवान,मैं तुम्हारा धीर हूं
समता में कम पर में वृहद गंभीर हूं

एक सम्मान प्रदान का बीज मन में बोए रखता हूं
एक पोठली है मेरे पास जिसमें सबकी डाट और प्यार संजोए रखता हूं

उम्र सम ऑर्डर मिलते हैं अनेकों काम के
गलतियां हम नहीं करेंगे तो छोटे ही किस काम के

इसलिए उठाई मैंने अपनी कलम और लगाया अपना ध्यान 
क्युकी मैंने भी ले रखा है अनुज का पायदान

©Saurabh Katara
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