शून्य की दहलीज पे खड़ा हूं, ऐ जिंदगी अब तू क्या कर लेगी, घटाने को कुछ भी बचा नहीं, जो जोड़ेगी वही वापस लेगी। क्षितिज सा क्यूं अड़ा रह गया, नभ छू ना सका और सागर बह गया, तारों और किनारों सी कहां किस्मत थी, अब मैं शून्य हूं तो यही सही। #शून्य