बारिश की फुहार में, मनमुग्ध हो नाचे मोर, इस फुहार के पावन त्योहार में। विहग करे गुंजन मनोहर डाल पे, झूल-झूल तन अपना बेहाल करे, सुरीली तान छेड़े कानन के बहार में। है मृगनैनी प्यास बुझाती, मचल-मचल रिमझिम बरसात में। इंद्रधनुष खूब मुस्काता बादलों के आर में। पक्षियों के झुंड जैसे मधुमखियों के छत्ते, थककर उड़ान उसकी जब हो जाये कम, लगता हो जैसे गुथे हो फूलों के हर में। उषा अम्बेडकर ©Vishwanath Ram है सावन की फुहार में