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मैं गुलों की तरह लफ़्ज़ चुनती हूँ और फिर अल्फ़ाज़ो

मैं गुलों की तरह लफ़्ज़ चुनती हूँ
और फिर अल्फ़ाज़ों से नज़्में बुनती हूँ
कुछ ख्वाबों  से खयाल चुरा लाती हूँ
और उन्हें गज़लों में गाती हूँ, 

तुमसे  तुमको चुराती हूँ, 
और ख़ुद को थोड़ा सा पा लेती हूँ, 
एक खूबसूरत सी कहानी लिखती हूँ, 
ख़ुद को गुल तुम्हें गुलफ़ाम लिखती हूँ
अपने इश्क़ का अफसाना 
सरेआम लिखती हूँ...

©Smita Sriwastav
  #fasaana #फ़साना