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#OpenPoetry क्यूँ नहीं खोलता खून मेरा, या बेहता रग

#OpenPoetry क्यूँ नहीं खोलता खून मेरा, या बेहता रगों में पानी है। 
या खैर मनाता दिल ये मेरा, ये सिर्फ उननाव और 
दिल्ली की कहानी है।।
क्या सारी मोमबत्तीया पिघल गयी, या जुलुस से पाव में छाले है। 
क्या इससे तस्वीर है बदल गयी, या कोई और विकल्प निकाले है।। 
क्या कन्या को कोख में मारोगे , या उनको बुरखो में डालोगे। 
आखिर कब तक गंदी करतूतों का बोझ,तुम हम लड़कियों पर ही डालोगे।। 
फूल सी कोमल ये बच्चियाँ, क्या इन पर भी आरोप है। 
या नाजुकता और नादानता ही, इनका सबसे बड़ा दोष है।। 
है नहीं पानी , है खून भरा, 
हम सबके जिस्मो जान मे। 
तो क्यूँ नहीं करते हम एक प्रयास, 
इन बेटियों के सम्मान में। 
                       - बारिश #girls #poem
#OpenPoetry क्यूँ नहीं खोलता खून मेरा, या बेहता रगों में पानी है। 
या खैर मनाता दिल ये मेरा, ये सिर्फ उननाव और 
दिल्ली की कहानी है।।
क्या सारी मोमबत्तीया पिघल गयी, या जुलुस से पाव में छाले है। 
क्या इससे तस्वीर है बदल गयी, या कोई और विकल्प निकाले है।। 
क्या कन्या को कोख में मारोगे , या उनको बुरखो में डालोगे। 
आखिर कब तक गंदी करतूतों का बोझ,तुम हम लड़कियों पर ही डालोगे।। 
फूल सी कोमल ये बच्चियाँ, क्या इन पर भी आरोप है। 
या नाजुकता और नादानता ही, इनका सबसे बड़ा दोष है।। 
है नहीं पानी , है खून भरा, 
हम सबके जिस्मो जान मे। 
तो क्यूँ नहीं करते हम एक प्रयास, 
इन बेटियों के सम्मान में। 
                       - बारिश #girls #poem