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लोहे से बनी तेग़ चला कर जो लगते हैं ज़ख़्म वो भर

लोहे से बनी तेग़ चला कर जो लगते हैं ज़ख़्म 
वो भर जाते हैं चंद दिनों में 
शब्दों की तेग़ चला जो तार तार हुए दिल के ज़ख़्मो को भर पाना ना-मुम्किन होता है
 मरहम लगाने की कोशिश में वो ताज़ा होते हैं बस
दुआ है यही रब से, चाहे ले ले कोई जान एक झटके में पर ए खुदा ना देना कोई शब्दों से ज़ख़्म देने वाला जो तिल तिल कर मारे
हम दुआ करें मौत की और मौत भी हम से करे किनारे

©Dr Supreet Singh #inspirational_quotes
लोहे से बनी तेग़ चला कर जो लगते हैं ज़ख़्म 
वो भर जाते हैं चंद दिनों में 
शब्दों की तेग़ चला जो तार तार हुए दिल के ज़ख़्मो को भर पाना ना-मुम्किन होता है
 मरहम लगाने की कोशिश में वो ताज़ा होते हैं बस
दुआ है यही रब से, चाहे ले ले कोई जान एक झटके में पर ए खुदा ना देना कोई शब्दों से ज़ख़्म देने वाला जो तिल तिल कर मारे
हम दुआ करें मौत की और मौत भी हम से करे किनारे

©Dr Supreet Singh #inspirational_quotes
supreetsingh8466

Dr Supreet Singh

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