बीते सारे मंज़र याद आएंगे , चाकू छुरे खंज़र याद आएंगे । दुनिया झोली में लेकर चलने वाले , पीर फ़क़ीर कलंदर याद आएंगे। हम तो ठहरे बेघर मुहाज़िर लोग , हमको भी अपने घर याद आएंगे। एक घूंट में दरिया को पीने वाले , प्यासे को समंदर याद आएंगे । जीत लो दुनिया तुम सारी पर तय है , हारने वालें सिकन्दर याद आएंगे। - राणा © बीते सारे #मंज़र याद आएंगे , #चाकू #छुरे #खंज़र याद आएंगे । #दुनिया #झोली में लेकर चलने वाले , #पीर #फ़क़ीर #कलंदर #याद आएंगे। हम तो #ठहरे #बेघर #मुहाज़िर लोग , हमको भी अपने #घर याद आएंगे।