बंद दरवाजा देख कर लौट आती है यादें भी बिना बात किए ही लौट आतीं हैं आते जाते देख ,बिन बात के ही रोने लगती है दिन से शाम वक्त गुजरता देख, उसके लिए, बंद दरवाजों पर, यादें भी वक्त को निहारने लगती है ना वक्त पर बात होती हैं ,ना बंद दरवाजा खुलता है नसीब की बात है, हर किसी के लिए बंद दरवाजा कभी नहीं खुलता हैं.... m