रमण बिहारी सौ करे जो जैसी अभिलाष ।ये सबको मंगल करै पूरन हों सब आश ।। रमण बिहारी की छबी निक सत उर ते नाहिं। अपलक नयना निरखते ,सरस युगल रस माहि ।। रमण बिहारी चरन के परसन कू मन होय । ,सरस उलीचो ज्ञान सब कछू न राखो गोय ।। रमण बिहारी की ध्वजा लहर लहर लहराय । हरि आभा निरखन चली यमुना हिय उफनाय ।। रचना,शैलेन्द्र कुमार ,सरस, छाता,मथुरा । गोय। ।। । ।