डॉक्टर के सफेद कोट के साथ खाकी वर्दी भी जीवन बचाती है , जिनकी जान बचाना चाहे उनसे ही पत्थर खाती है , हर सिपाही के साथ साथ वर्दी भी फ़र्ज़ निभाती है । जब देश के लिए शहीद हो जाता है सिपाही , खूंटी पर टकी हुई ये वर्दी भी आँसू बहाती है , कौन समझता है दर्द खाकी का, वो कहाँ समझा पाती है , हर सिपाही के साथ साथ वर्दी भी फ़र्ज़ निभाती है । बेटी की शादी, बेटे का भविष्य, खुद का मकान, माँ बाप का तीर्थ और खाकी पहने वाले का हर अरमान वो भूल भी जाये , पर ये वर्दी कहाँ भूल पाती है , हर सिपाही के साथ साथ वर्दी भी फ़र्ज़ निभाती है । कभी फाड़ी गई, कभी बदनाम हुई तो कभी खून से नहलाई जाती है, इतने दुख इतने गम भूल जाती है एक पल में ये खाकी जब मैडल से सजाई जाती है , हर सिपाही के साथ साथ वर्दी भी फ़र्ज़ निभाती है। ये खाकी का जादू है साहेब , चोर भी पहन ले तो वफादार बना देती है, रुतबा ऐसा कि मामूली को भी शानदार बना देती है ढूंढ लाती है गुनहगार को किसी भी कोने से, सात पुश्ते भी गुनाह से करे तौबा जब ये खाकी अपनी जिद पर आ जाती है , हर सिपाही के साथ साथ वर्दी भी फ़र्ज़ निभाती है । खाटी विडंबना #Delhi #Police : #Khaki #खाकी