जिंदगी रोज़ मज़ा ले रही है, मर जाने की ख्वाहिश जगह ले रही है, रास्ता देख रहा हूं उस प्यार की डोर का, जिंदगी मौत की शक्ल बेवजह ले रही है।। मानता हूं मरना कोई हल नहीं है जिंदगी का, जूझ रहा हूं फिर भी जीने की चाह के लिए, अरे कोई खींच लो मुझे प्यार से और जीने के लिए, मरने की इच्छा भी पल पल मज़ा ले रही है।। कुछ ख़्याल बेवजह ही शब्दों में बदल जाते हैं। तो सोचा क्यों ना इसे पिरो कर देख लूं, आखिर कर शब्द भी अपने हैं और भाव भी। बस थोड़ा चला कर देख रहा था की मेरे कलम में आज भी तुक बचा है या भरवाना पड़ेगा।। #cinemagraph #बेवजह #बेवजह_के_ख़्याल #जिंदगी_को_वजह #तुकबंदी #शब्दोंकाखेल #penofasoul