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मेरे सपने मुझे है कहाँ ले चले आशिया सजाएँ है पलको

मेरे सपने मुझे है कहाँ ले चले
आशिया सजाएँ है पलको के तले

भीगा भीगा ये समा, भीगी भीगी राते
साँझ सवेरे भीगे भीगे मौसम अखियो में पले

खोई खोई दुनिया में, नींद कहाँ, चैन कहाँ
कब भोर बाँग लगाए कब सुनहरी शाम ढले

कुहू कुहू कोयल बोली, पपीहरे की मधुर ताण
गूँजती रहती है कानो में लिए बहुत हिचकोले

बिन बादल बरसात होवे, मन होवे सैरभैर
दाए-बाए, ऊपर-नीचे झुलत है बिन सावन झुले

बाहे मेरी पंख पसारे, गगण कक्षा की ओर बढ़े
चाँद सितारो में ढूँढे है चाहत के गुब्बार बुलबुले

पैर ना टिक पाए जमीन पर, उड़ान भरे हौसलों की
दिल-ए-नादान को अब होश कैसा जब हो ख्वाॅब चुलबुले
 मेरे सपने मुझे 
हैं कहाँ ले चले

हमारे सपने हमारा सफ़र तय कर रहे हैं।
#मेरेसपने
#collab करें #yqdidi के साथ।
...
मेरे सपने मुझे है कहाँ ले चले
आशिया सजाएँ है पलको के तले

भीगा भीगा ये समा, भीगी भीगी राते
साँझ सवेरे भीगे भीगे मौसम अखियो में पले

खोई खोई दुनिया में, नींद कहाँ, चैन कहाँ
कब भोर बाँग लगाए कब सुनहरी शाम ढले

कुहू कुहू कोयल बोली, पपीहरे की मधुर ताण
गूँजती रहती है कानो में लिए बहुत हिचकोले

बिन बादल बरसात होवे, मन होवे सैरभैर
दाए-बाए, ऊपर-नीचे झुलत है बिन सावन झुले

बाहे मेरी पंख पसारे, गगण कक्षा की ओर बढ़े
चाँद सितारो में ढूँढे है चाहत के गुब्बार बुलबुले

पैर ना टिक पाए जमीन पर, उड़ान भरे हौसलों की
दिल-ए-नादान को अब होश कैसा जब हो ख्वाॅब चुलबुले
 मेरे सपने मुझे 
हैं कहाँ ले चले

हमारे सपने हमारा सफ़र तय कर रहे हैं।
#मेरेसपने
#collab करें #yqdidi के साथ।
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