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ज्यादातर इंसान अपनी किसी भी महत्वपूर्ण बात को किसी

ज्यादातर इंसान अपनी किसी भी महत्वपूर्ण
बात को किसी दूसरे से कहने के 
बाद फिर बाद मैं बड़ा सोचते है कि 
कहीं वह दूसरा इंसान, किसी तीसरे 
से आपकी बात को ना कह दे
लेकिन आप जरा सोचिए की इंसान 
जब किसी भी बात को खुद के अंदर 
ही नहीं रख सकता तो कोई दूसरा इंसान 
आपकी बात को अपने अंदर तक सीमित 
कैसे रख सकता है

©"pradyuman awasthi" #कान मैं खुश फुस
ज्यादातर इंसान अपनी किसी भी महत्वपूर्ण
बात को किसी दूसरे से कहने के 
बाद फिर बाद मैं बड़ा सोचते है कि 
कहीं वह दूसरा इंसान, किसी तीसरे 
से आपकी बात को ना कह दे
लेकिन आप जरा सोचिए की इंसान 
जब किसी भी बात को खुद के अंदर 
ही नहीं रख सकता तो कोई दूसरा इंसान 
आपकी बात को अपने अंदर तक सीमित 
कैसे रख सकता है

©"pradyuman awasthi" #कान मैं खुश फुस