White विवाहित स्त्रियाँ जब होती हैं प्रेम में तो उतनी ही प्रेम में होती हैं जितनी होती हैं कुँवारी लड़कियां प्रेम कुँवारेपन और विवाह को नहीं जानता केवल मन के दर्पण को देखता मन के राग को सुनता है विवाहित स्त्रियाँ भी समाज से डरते हुए करती जाती हैं प्रेम किसी अमर बेल की तरह क्योंकि प्रेम के बीज बोये नहीं जाते वे स्वत ही हृदय की नम सतह पाकर कभी भी कहीं भी किसी क्षण प्रेम बनकर अंकुरित हो उठते हैं प्रेम में हो जाती हैं वे भी सोलह सत्रह बरस की कोई नयी सी उमंग ललक उठता है उनका भी मन प्रेमी की एक झलक पाने को दैहिक लालसा से परे होता है उसका प्रेम वे आलिंगन के स्पर्श से ही मात्र आत्मा के सुख में प्रवेश कर जाती है ©शैलेंद्र यादव #फ्रेंडशिप कोट्स