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हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं वो मेरे श

हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं 
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं

ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला 
तमाम उम्र में दो चार छ: गिले भी नहीं 

इस उम्र में भी कोई अच्छा लगता है लेकिन
दुआ-सलाम के मासूम सिलसिले भी नहीं

©Praveen 
  ya kasi vafa hai, aaga kya kahu pata nahi
praveen1608

Praveen

New Creator

ya kasi vafa hai, aaga kya kahu pata nahi #Shayari

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