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"जहां भी रहो खुश रहो ...🙌" (अनुशीर्षक में ) जब भी

"जहां भी रहो
खुश रहो ...🙌"
(अनुशीर्षक में ) जब भी तुम्हें 
लिखने का प्रयत्न किया 
इन "श्वेत पत्रों" पर
ना चाहते हुए भी 
"ब्रह्मांड" उभर कर आया 
.....पर कभी जमीं को 
"धूसित रंगो" में नहीं उभारा
ना ही अम्बर को "काले रंग" में
"जहां भी रहो
खुश रहो ...🙌"
(अनुशीर्षक में ) जब भी तुम्हें 
लिखने का प्रयत्न किया 
इन "श्वेत पत्रों" पर
ना चाहते हुए भी 
"ब्रह्मांड" उभर कर आया 
.....पर कभी जमीं को 
"धूसित रंगो" में नहीं उभारा
ना ही अम्बर को "काले रंग" में