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शीर्षक - मुस्कुराना चाहिए। गम हो या खुशी हो म

शीर्षक - मुस्कुराना चाहिए। 
गम  हो  या  खुशी  हो मुस्कुराना चाहिए।
जब तक न टूटे सांस जिए जाना चाहिए।
हो  समय   चाहें   कठिन  कितना  सुनों।
तूफान  में भी दिया इक जलाना चाहिए। 
मिलती नहीं  ये  जिन्दगी  खैरात  में कभी। 
मुस्किल में हो जो ज़िन्दगी बचाना चाहिए।
यहां अपने  लिए आंसू तो बहाते  है सभी। 
गैरों  के  दर्द  पे  भी  आंसूं  आना चाहिए। 
जताते हो जिस तरह से सदा अपनी खुशी को। 
गैरों   की   खुशी   को  भी  तो  जताना चहिए। 
सोचते    हो    जिस    तरह    से    अपने  तुम। 
गैरों   के   लिए   वो  ही  नज़र  आना  चाहिए। 
गम  हो  या  खुशी  हो मुस्कुराना चाहिए।
जब तक न टूटे सांस जिए जाना चाहिए।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi #अजयकुमारव्दिवेदी शीर्षक - मुस्कुराना चाहिए।
शीर्षक - मुस्कुराना चाहिए। 
गम  हो  या  खुशी  हो मुस्कुराना चाहिए।
जब तक न टूटे सांस जिए जाना चाहिए।
हो  समय   चाहें   कठिन  कितना  सुनों।
तूफान  में भी दिया इक जलाना चाहिए। 
मिलती नहीं  ये  जिन्दगी  खैरात  में कभी। 
मुस्किल में हो जो ज़िन्दगी बचाना चाहिए।
यहां अपने  लिए आंसू तो बहाते  है सभी। 
गैरों  के  दर्द  पे  भी  आंसूं  आना चाहिए। 
जताते हो जिस तरह से सदा अपनी खुशी को। 
गैरों   की   खुशी   को  भी  तो  जताना चहिए। 
सोचते    हो    जिस    तरह    से    अपने  तुम। 
गैरों   के   लिए   वो  ही  नज़र  आना  चाहिए। 
गम  हो  या  खुशी  हो मुस्कुराना चाहिए।
जब तक न टूटे सांस जिए जाना चाहिए।
अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''

©Ajay Kumar Dwivedi #अजयकुमारव्दिवेदी शीर्षक - मुस्कुराना चाहिए।