कलाकार बांधता है अल्फाजो में समाज को रंगता हैं हर रीत को उकेरता हैं हर बागी को गाता है हर परिवर्तन को कलाकार दर्पण होता है जिसमें सामाज की ही छवि होती हैं। किसी पुरानी धारणा जैसा नहीं बदलता है वक्त के साथ कलाकार सच बोलता है समाज पर बिछी धूल की चादर को हटाता हैं कलाकार बगावत को शब्द देता है आकार देता हैं कलाकार किसी ख़ास का नहीं आम का होता है। अनुष्का ढाका।। #artist