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कंधे के बोझ से नहीं झुकता, वो पैदल चलने वाला | कभी

कंधे के बोझ से नहीं झुकता, वो पैदल चलने वाला |
कभी सफर में नहीं रुकता, वो पैदल चलने वाला |

साँझ सुबह का याराना है,  धूप छॉव का उससे |
तो धूप छॉव से क्या डरता, वो पैदल चलने वाला |

मजबूरी के आंच पर सिखती उसकी रोटी |
रोज दिहाड़ी पर बिकता, वो पैदल चलने वाला |

हाथों में कैद नशेमन और भूख लोगों की |
और खुद भूख से है मरता, वो पैदल चलने वाला |

दर्द यही लोगों का, की दिखती नहीं है सड़कें |
और सब सडके नहीं देखना चाहता , पैदल चलने वाला |

पसीने ने जमीं नापी और छालों ने सफर |
तामउम्र पैदल चलता रहा , वो पैदल चलने वाला | 

नेहा वशिष्ठ पैदल चलने वाला
कंधे के बोझ से नहीं झुकता, वो पैदल चलने वाला |
कभी सफर में नहीं रुकता, वो पैदल चलने वाला |

साँझ सुबह का याराना है,  धूप छॉव का उससे |
तो धूप छॉव से क्या डरता, वो पैदल चलने वाला |

मजबूरी के आंच पर सिखती उसकी रोटी |
रोज दिहाड़ी पर बिकता, वो पैदल चलने वाला |

हाथों में कैद नशेमन और भूख लोगों की |
और खुद भूख से है मरता, वो पैदल चलने वाला |

दर्द यही लोगों का, की दिखती नहीं है सड़कें |
और सब सडके नहीं देखना चाहता , पैदल चलने वाला |

पसीने ने जमीं नापी और छालों ने सफर |
तामउम्र पैदल चलता रहा , वो पैदल चलने वाला | 

नेहा वशिष्ठ पैदल चलने वाला