वो जो पलकें बिछाए इंतजार करती थी वो जो रातों को तारे गिना करती थी वो जो नित नये बहाने से मिलती थी वो जो हर साँस पे नाम उसका जपती थी वो जो फूलों सी खिलखिलाया करती थी कल देखा उसको गुमसुम सा शायद कुछ अन्दर टूटा था खुशियों का साथ सा छूटा था आँखे जो न देख पाई थी मन की आँखे पढ गई वो शायद शायद थी मन को ठेस लगी कुछ टूटा था हर कोने में रब खैर करे शब खैर करे.... आँखें न देख सकीं... #आँखेंनदेखसकीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi