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मुझ तलक़ लौट आती सदाएँ मेरी सबको घेरे हुएँ हैं यों

मुझ तलक़ लौट आती सदाएँ मेरी
सबको घेरे हुएँ हैं यों मजबूरियाँ
रब खामोशियाँ कर मुझे तू अता
मेरे सब्रे जहाँ का मुझे दे पता
वो बढ़ता हुआ हाथ ख़्वाबों में था
दिल करे भी तो क्या इस फ़क़त राख का
कौन फुरसत में है वक़्त तू ही बता
जिसको फुरसत रही वो मुझे आ मिला
सियाही ये आँखों की उसको कलम
जिसने लौ इक जलाकर अँधेरा लिखा

 #toyou#tothetea#ilovetea#yqlove#yqlonliness#yqsilencingvssilence
मुझ तलक़ लौट आती सदाएँ मेरी
सबको घेरे हुएँ हैं यों मजबूरियाँ
रब खामोशियाँ कर मुझे तू अता
मेरे सब्रे जहाँ का मुझे दे पता
वो बढ़ता हुआ हाथ ख़्वाबों में था
दिल करे भी तो क्या इस फ़क़त राख का
कौन फुरसत में है वक़्त तू ही बता
जिसको फुरसत रही वो मुझे आ मिला
सियाही ये आँखों की उसको कलम
जिसने लौ इक जलाकर अँधेरा लिखा

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