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अपने कोमल भावों को, स्नेहित क्षणों में पिरो कर, तु

 अपने कोमल भावों को, स्नेहित क्षणों में पिरो कर,
तुम्हारे आलिगंन की ख़ुशबू भर कर,
चलो फीकी पड़ी सी जिन्दगी में रंग भरते हैं..
फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !! 

विश्वास की डोर को मजबूत कर,
हृदय की धड़कनों को सहेज कर,
रब से हमारे नसीब में मसर्रत माँगते हैं..
 अपने कोमल भावों को, स्नेहित क्षणों में पिरो कर,
तुम्हारे आलिगंन की ख़ुशबू भर कर,
चलो फीकी पड़ी सी जिन्दगी में रंग भरते हैं..
फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !! 

विश्वास की डोर को मजबूत कर,
हृदय की धड़कनों को सहेज कर,
रब से हमारे नसीब में मसर्रत माँगते हैं..