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पता है ,,,,, मेरी लिखावट किसपे गई है ,,,,, मेरी ज़ि

पता है ,,,,, मेरी लिखावट किसपे गई है ,,,,, मेरी ज़िन्दगी पे,,,,,,,,,
           ये खराब नहीं है, बस बयाँ करती है अपने आप को के कहाँ से शुरुआत हुई ? कहाँ गिरी ? कब खुश थी ? तो कब ग़मगीन ? 
     पता है ,,,,,,,,,,,इक अहम बात जहाँ लिखावट बहुत खराब आती है न वो सबसे ख़ास लम्हां लिखा होता है ,,,जिसे कोई पढ़ न पाये ताकि मैं राज़ रहूँ ,,,,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, न जो उसे पढ़ देगा वो जान जाएगा मुझको और मेरी ज़िन्दगी को ,,,,,,,,
   पता है,,,,,,, बस अब ये देखना है कि मुझे कोई पढ़ पायेगा तो मैं इबारत ,,,,,,वरना,,,,,, जलना तो तय है ,,,,,,
 पता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©️✍️ सतिन्दर पता है ,,,,, मेरी लिखावट किसपे गई है ,,,,, मेरी ज़िन्दगी पे,,,,,,,,,
           ये खराब नहीं है, बस बयाँ करती है अपने आप को के कहाँ से शुरुआत हुई ? कहाँ गिरी ? कब खुश थी ? तो कब ग़मगीन ? 

     पता है ,,,,,,,,,,,इक अहम बात जहाँ लिखावट बहुत खराब आती है न वो सबसे ख़ास लम्हां लिखा होता है ,,,जिसे कोई पढ़ न पाये ताकि मैं राज़ रहूँ ,,,,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, न जो उसे पढ़ देगा वो जान जाएगा मुझको और मेरी ज़िन्दगी को ,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, बस अब ये देखना है कि मुझे कोई पढ़ पायेगा तो मैं इबारत ,,,,,,वरना,,,,,, जलना तो तय है ,,,,,,
पता है ,,,,, मेरी लिखावट किसपे गई है ,,,,, मेरी ज़िन्दगी पे,,,,,,,,,
           ये खराब नहीं है, बस बयाँ करती है अपने आप को के कहाँ से शुरुआत हुई ? कहाँ गिरी ? कब खुश थी ? तो कब ग़मगीन ? 
     पता है ,,,,,,,,,,,इक अहम बात जहाँ लिखावट बहुत खराब आती है न वो सबसे ख़ास लम्हां लिखा होता है ,,,जिसे कोई पढ़ न पाये ताकि मैं राज़ रहूँ ,,,,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, न जो उसे पढ़ देगा वो जान जाएगा मुझको और मेरी ज़िन्दगी को ,,,,,,,,
   पता है,,,,,,, बस अब ये देखना है कि मुझे कोई पढ़ पायेगा तो मैं इबारत ,,,,,,वरना,,,,,, जलना तो तय है ,,,,,,
 पता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©️✍️ सतिन्दर पता है ,,,,, मेरी लिखावट किसपे गई है ,,,,, मेरी ज़िन्दगी पे,,,,,,,,,
           ये खराब नहीं है, बस बयाँ करती है अपने आप को के कहाँ से शुरुआत हुई ? कहाँ गिरी ? कब खुश थी ? तो कब ग़मगीन ? 

     पता है ,,,,,,,,,,,इक अहम बात जहाँ लिखावट बहुत खराब आती है न वो सबसे ख़ास लम्हां लिखा होता है ,,,जिसे कोई पढ़ न पाये ताकि मैं राज़ रहूँ ,,,,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, न जो उसे पढ़ देगा वो जान जाएगा मुझको और मेरी ज़िन्दगी को ,,,,,,,,

   पता है,,,,,,, बस अब ये देखना है कि मुझे कोई पढ़ पायेगा तो मैं इबारत ,,,,,,वरना,,,,,, जलना तो तय है ,,,,,,