दूर हो कर भी दिल के कितने पास मेरी जीने की बस तुम्ही हो आस कहां गुम थी अभी तक मिली हो कितने बरसों बाद अब तो बस रख लूं तुमको अपने पास ना हो जुदा कभी यही करता हूं खुदा से दरख्वास्त ©Dr Supreet Singh #मेरी_ज़िंदगी