कर्ज चुकता नहीं होता फर्ज अदा नहीं होता कुछ तो कमी है मेरे किरदार में जो तू करम मुझ पर नहीं करता। तेरे दीदार के सिवा मेरी जुस्तजू ही क्या थी इतनी भी मेरी हसरत जो तू पूरी नहीं करता। ठीक नहीं है मुहब्बत में ये टालमटोल कभी बुलाता भी नहीं हमें पास अपने और अपने आने की खबर भी नहीं देता। कोरोना इतनी बुरी बला भी नहीं है आगे तेरे क्यों शहर अपने में हमें क्वारेंटाईन नहीं करता। तेरे हुक्म के बंधे हैं आ भी नहीं सकते टूटा जा रहा सब्र का बाँध क्या तू बुला भी नहीं सकता। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 16.07.2020 कर्ज चुकता नहीं होता