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उसने उसे पीछे से बाहों में भरकर, लाड़ में पूछा "अब

उसने उसे पीछे से बाहों में भरकर, लाड़ में पूछा "अब कब मिलेंगे"
बिना दोहरी सोच के उसने भी कह दिया "अगले हफ्ते"
"अगले हफ्ते में बहुत समय है अभी" वो आवाज़ धीमी करके बोली।
"सिर्फ पांच दिन है, यूं ही निकल जायेंगे" उसने उस ज़िद्दी लड़की को समझाया।
वो ठीक करके बोली "पांच दिन नहीं, पूरे 120 घंटे है जनाब" 

ख़ैर, उसने कहा और हर बार की तरह उसने मान लिया।
उस पगली लड़की ने भी सारा हफ्ता यानी 120 घंटे इंतज़ार किया।

वो मिले, जरूर मिले, बस वक्त, हालत और वजह बहुत अलग थी।

वो आया -  उसने अपनी ओझिल होती हुई आंखें, घटती सांसों
में उसका नाम लिया "........" पर वो कुछ सुन नहीं पाया,
वो कुछ कह नहीं पाई।

वो आया जरूर, अगले हफ्ते जैसे कि उसने कहा था,
पर उससे मिलने को 120 घंटे इंतजार कर रही वो पगली लड़की
एक काले अंधकार में जा चुकी थी।

©Swechha S "अगला हफ्ता" 💌
#8May #Tum
उसने उसे पीछे से बाहों में भरकर, लाड़ में पूछा "अब कब मिलेंगे"
बिना दोहरी सोच के उसने भी कह दिया "अगले हफ्ते"
"अगले हफ्ते में बहुत समय है अभी" वो आवाज़ धीमी करके बोली।
"सिर्फ पांच दिन है, यूं ही निकल जायेंगे" उसने उस ज़िद्दी लड़की को समझाया।
वो ठीक करके बोली "पांच दिन नहीं, पूरे 120 घंटे है जनाब" 

ख़ैर, उसने कहा और हर बार की तरह उसने मान लिया।
उस पगली लड़की ने भी सारा हफ्ता यानी 120 घंटे इंतज़ार किया।

वो मिले, जरूर मिले, बस वक्त, हालत और वजह बहुत अलग थी।

वो आया -  उसने अपनी ओझिल होती हुई आंखें, घटती सांसों
में उसका नाम लिया "........" पर वो कुछ सुन नहीं पाया,
वो कुछ कह नहीं पाई।

वो आया जरूर, अगले हफ्ते जैसे कि उसने कहा था,
पर उससे मिलने को 120 घंटे इंतजार कर रही वो पगली लड़की
एक काले अंधकार में जा चुकी थी।

©Swechha S "अगला हफ्ता" 💌
#8May #Tum
swechhas4861

Swechha S

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