लबों के फूल,किसी के लबो पर ना खिले तोह जिंदगी का मज़ा क्या सजा जो जिंदगी तार तार ना करदे , मोहब्बत की वोह सजा,, सजा क्या सितम हम सेह लेंगे , निगाहों की खूबसूरती के खातिर मगर जो मोहब्बत इतनी खूबसूरती से निभाई है उस खूबसूरती का क्या