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इश्क़ मुसलसल तुझसे पनाह-ए-आस रखता है, रब की इबादत

इश्क़ मुसलसल तुझसे पनाह-ए-आस रखता है,
रब की इबादत जैसा तुझमें विश्वास रखता है।

ये रात मरहूम सी जैसे फलक पर अंधकार लिए बैठी है,
चाँद से मुसलसल हो,अब चाँदनी का फ़रमान लिए बैठी है। #collabwithकोराकाग़ज़ 
#yqdidi
#चाँद_और_तुम
#yqhindi
इश्क़ मुसलसल तुझसे पनाह-ए-आस रखता है,
रब की इबादत जैसा तुझमें विश्वास रखता है।

ये रात मरहूम सी जैसे फलक पर अंधकार लिए बैठी है,
चाँद से मुसलसल हो,अब चाँदनी का फ़रमान लिए बैठी है। #collabwithकोराकाग़ज़ 
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