क्यों हो रहा है ये जो,जो शोर हो रहा हैं ये आवाज़ किसकी है ये शोर आह,,, जैसी है चुप ही हूं, कुछ बोल नहीं रहा हिन्दू मुस्लिम के आंगे कुछ सोच नहीं रहा इंसानियत होती हैं होती है इंसानियत यें मूझे झंकझोर नहीं रहा क्या हूं क्या होता जा रहा हूं सम्हलते सम्हलते बदलते जा रहा हूं हम हिन्दू,,, मैं बनते जा रहा हूं हम में हिन्दू मुस्लिम भी जो हिन्दुस्तान बना हूं हम में हिन्दू ह हिन्दू म मुस्लिम