मेरी अधूरी कहानी एक अनजान मुसाफिर,तब मेरी जान बन बैठा.. सुनी सी महफ़िल की,जैसे कोई शान बन बैठा!! बेहद हसीन थी,वो पहली मुलाकातें.. जब लब्ज खामोश थे,मगर आँखे करती थी बातें!! वक्त के साथ,कुछ और अहसास होते होते गये.. हम दूर होकर भी,और पास होते गये!! अब लब्ज धीरे-धीरे,कुछ बोलने लगे थे.. जैसे बेजान परिंदे,अपना मुंह खोलने लगे थे!! वो भौंरो की तरह,गुनगुनाने लगे थे.. उनके बोल,मेरे कानों तक,आने लगे थे!! हकीकत जब पता चली अब दुनिया को हैरान करने वाला,खुद हैरान होने लगा था.. जो कुछ भी मैंने पाया,वो सब खोने लगा था!! जान तो थी भीतर,पर मैं बेजान हो बैठा.. परेशानी को परेशान करने वाला,खुद परेशान हो बैठा!! क्योंकि ये चाहत उनसे थी जिनकी चाहत का हकदार,कोई और था.. जिन्हें मान बैठे हम अपना,उनका तलबदार कोई और था!! कुछ सवाल अब तक मेरे दिल में,हलचल मचा रहे थे.. और शीतल नैनों से नीर,जैसे मोती छलका रहे थे!! और सवाल ये थे कि अगर नहीं अपनाना चाहती,तो तेरी आँखों में मेरी प्यास क्यूँ थी.. सांसों में मेरा अहसाह,और दिल में मुझे पाने की आस क्यूँ थी!! अगर अब भी चाहती है ठुकराना,तो तेरी आँखों में मेरे लिये प्यार क्यों है? और मुझसे दूर हो जाने का,डर तेरे भीतर बेशुमार क्यों है?? तुम मुझे खोना भी नहीं चाहती,और तुम मुझे पाना भी नहीं चाहती.. जैसे जीना भी नहीं चाहती,और जहर पीना भी नहीं चाहती!! आखिर तेरे दिल में है क्या,बता तो सही.. माना अपनाना तेरे बश में नहीं,तो ठुकरा तो सही!! और जवाब कुछ यूँ मिला कि मैं पहले से किसी और की हो चुकी,अब तेरी हो जाऊं कैसे? हाँ!मैं तुझे खोना नहीं चाहती,पर तू ही बता तुझे मैं पाऊँ कैसे?? तू समाया मेरे अंदर ऐसे.. लगा कुछ समंदर हो मेरे अंदर जैसे!! तेरी चाहत के आगे मैं खुद हैरान हुँ,तूने सब कुछ छोड़कर अपना माना मुझे.. अब तू ही बता तुझे ठुकराऊँ कैसे?? अब कोई सितम ना रहा आँखे नाम हुई.. अब चाहत का कोई गम ना रहा!! ना मिला मेरे सवालों का जवाब.. ना नींदें पूरी हुई,ना मुकम्मल हुए ख्वाब!! अब भी हम मचल रहे है.. लोग देख के जल रहे है!! ना मुक्तसर मुलाकात है.. ना मुकम्मल हालात!! हम तो बस यूँही,बेधड़क चल रहे है!!! ना कश्ती,ना दरिया,ना पानी.. बस इतनी सी है मेरी अधूरी कहानी!! -हरेन्द्र प्रजापत #NojotoQuote