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फिर से फोन के धरातल में उंगली फेरने चला हूँ, "मैं

फिर से फोन के धरातल में उंगली फेरने चला हूँ, 
"मैं अपने परिवार को शब्दों में पिरोने वाला हूँ"

मोतियों की माला सा परिवार हमारा,

बंधे है प्रेम की  एक डोर में!
माँ-बाबू ,बहिन हैं भय्या, 
नाव एक है, पिता खेवेय्या !!
माँ पाल सी तूफानों से लडे़, 
कही गिर न जाए,संभाले भय्या !!
बहनों का प्यार निराला, उनकी देखरेख में घर अाँगन हमारा, 
 बच्चों की किलकारीयों से गूंजे घर का हर कोना, 
"जीवन में कितना जरूरी है "
 अर्धांगिनी का होना!! 

 #InterntaionalFamilyDay 
#परिवार हमारा #मोतियों की माला सा।
फिर से फोन के धरातल में उंगली फेरने चला हूँ, 
"मैं अपने परिवार को शब्दों में पिरोने वाला हूँ"

मोतियों की माला सा परिवार हमारा,

बंधे है प्रेम की  एक डोर में!
माँ-बाबू ,बहिन हैं भय्या, 
नाव एक है, पिता खेवेय्या !!
माँ पाल सी तूफानों से लडे़, 
कही गिर न जाए,संभाले भय्या !!
बहनों का प्यार निराला, उनकी देखरेख में घर अाँगन हमारा, 
 बच्चों की किलकारीयों से गूंजे घर का हर कोना, 
"जीवन में कितना जरूरी है "
 अर्धांगिनी का होना!! 

 #InterntaionalFamilyDay 
#परिवार हमारा #मोतियों की माला सा।