जब शब्द ख़मोश हो जाये तो क्या बोलूं . जब जुबान लड़खड़ाये तो क्या बोलूं . जीवन की डगर कठिन है बेजुबान हूँ जुबां होते हुए भी जब अंदर हो अनेकों सैलाब तो क्या बोलू