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आँखों के तीर तेरे मेरे जिगर के पार हो गए जब से देख

आँखों के तीर तेरे मेरे जिगर के पार हो गए
जब से देखा है तुम्हें हम इश्क़ के बीमार हो गए
अपनी जुल्फों को यूं ना लहराओ खुली हवा में
होंठो के तेरे हम तलबगार हो गए



विनीत के मित्तल हसीना
आँखों के तीर तेरे मेरे जिगर के पार हो गए
जब से देखा है तुम्हें हम इश्क़ के बीमार हो गए
अपनी जुल्फों को यूं ना लहराओ खुली हवा में
होंठो के तेरे हम तलबगार हो गए



विनीत के मित्तल हसीना