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तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल । क्यूंकि त

तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल ।
क्यूंकि तन की उपज है क्रिया, जो है क्षणिक..!
और मन की उपज है सोच.... चिर अतिप्रबल..!
इसीलिए सालों साल, 
शरीर नहीं जलते, 
जलती हैं विचार धारा, 
और पुतले होते हैं केवल प्रतीक...

कैसी दशहरा, जो विकृति, मन से हटाई ना गई,
जलते रहे, पुतले यूं हीं, और सोच जलाई ना गई।

रावण भीतर है, जला डालिए...
Happy Dussehra !!
 आप सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। 
रावण के पुतले का दहन तो बहुत सरल है किंतु (दशहरा - दश का हरण) अत्यधिक कठिन कार्य है। 
#दशहरा #विजयदशमी #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल ।
क्यूंकि तन की उपज है क्रिया, जो है क्षणिक..!
और मन की उपज है सोच.... चिर अतिप्रबल..!
इसीलिए सालों साल, 
शरीर नहीं जलते, 
जलती हैं विचार धारा, 
और पुतले होते हैं केवल प्रतीक...

कैसी दशहरा, जो विकृति, मन से हटाई ना गई,
जलते रहे, पुतले यूं हीं, और सोच जलाई ना गई।

रावण भीतर है, जला डालिए...
Happy Dussehra !!
 आप सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। 
रावण के पुतले का दहन तो बहुत सरल है किंतु (दशहरा - दश का हरण) अत्यधिक कठिन कार्य है। 
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