ख़ामोश से अच्छा, मैं तुमको तुम रहने दूँ, बोलती आँखों में, मैं कोई ना ग़म रहने दूँ। जगा ख़ूबसूरत ख़्वाबों को जहाँ दिखाऊँ, दीप के क़दमों में,मैं कोई ना तम रहने दूँ। खोलिए दरवाज़ा दोस्त का ख़त आया है, किए वादों में,मैं अधूरी ना कसम रहने दूँ। करे बिना ताक-झाँक, कैसे मिलेगा सुकूँ, ख़्वाहिश-दामन में, हँसी ना कम रहने दूँ। दर्द और तन्हाई में, बहुत राहत देती 'धुन', 'शिखा' के पैरों में,कोई ना ज़ख़्म रहने दूँ। जी गुस्ताख़ी माफ़ Ma'am जी, आपकी सुंदर ग़ज़ल को बिगाड़ने के लिए 🙏🙏.. जी आशा करती हूँ, कि आप पीछे डंडा लेकर ना आयेंगी... 🤐😜🍰🍰🍰🧁🧁🍨🍨🍨💐💐🍫🍫🍫🍫🍪🍪🙏🙏 Happy Friendship Day 💐🌹.. *पोश-hide नोश-reward