इस नूतन वर्ष में नया क्या है अभी तो फूल भी खिले नहीं पत्ते भी शाखाओं से मिले नहीं आसमां का वही पुराना चादर है थरर्राती धरती, जमा-सा सागर है ठिठुरता है दिन, ठिठुरती रात तुम नूतन वर्ष कहते हो नज़र नहीं आती नयी कोई बात फिर ये कैसा नववर्ष है नया नहीं कुछ भी,दिखावे का हर्ष है अभी तो जाड़े की धूप और सर्द हवा है कोई बताए ज़रा इस नूतन वर्ष में नया क्या है? हमारी सुबह सूर्योदय से है तो फिर मध्यरात्रि कौन-सा सूर्य उदित होता है इस अटपटे से व्यवहार पर जाने क्यों तू मोहित होता है क्या तारीख़ बदलने से वर्ष नया होता है फिर जश्न किस बात का ऐसे तो हर दिन नया होता है नववर्ष तो तब हो,जब नया सब हो नए हों जब नभ-नील नीलम नईं हों फूलवारी,नये हो भाव मन के नई-नई हों वसुंधरा प्यारी ऋतु हो सुंदर -सुकुमारी बिखरी हो जब हर ओर हरियाली जब रंगे हों प्रेम रंग में राधिका और कान्हा कुंजबिहारी छाया हो जब तन मन में खुशहाली जब नए हों सबके भाव तब चढ़े जश्न का चाव कुछ भी नहीं ऐसा तो फिर यह जश्न है कैसा अभी तो बस जाड़े की धूप और सर्द हवा है कोई बताए ज़रा इस नूतन वर्ष में नया क्या है? ✍️@yaminee_pande. ©Yaminee #2022 नूतन वर्ष में नया क्या है??? #Moon